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54. ❂ हे शारदे माँ...!! ❂

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हे शारदे माँ,हे शारदे माँ।
अज्ञानतासे हमे तार दे माँ।।धृ।।

तू स्वर कि,देवी है,संगीत तुझसे।
हर शब्द तेरा है,हर गीत तुझसे।।
हम है अकेले ,हम है अधूरे।
तेरी शरण में हमें तार दे माँ।।१।।

तू श्वेत वर्णी,कमल पे विराजे।
हाथों में विणा, मुकूट सर पे साजे।।
मन से हमारें,मिटा दे अंधेरे।
हम को उजालों का संसार दे माँ।।२।।

गुणियों ने,समझी है,मुनियोंने जानी
वेदों की,भाषा, पुराणों की बानी।।
हम भी तो समझे,हम भी तो जाने
विद्या का हमको,अधिकार दे माँ।।३।।

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